सरकार ने फर्जी खबर रोकने हेतु IT नियम सख्त किए, फैक्ट-चेक यूनिट और प्लेटफॉर्म जवाबदेही बढ़ी
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सरकार ने डिजिटल मीडिया पर बढ़ती फर्जी व भ्रामक सूचनाओं की रोकथाम के लिए आईटी नियम 2021 में आचार संहिता और शिकायत निवारण तंत्र अनिवार्य किया।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को स्पष्ट रूप से झूठी या असत्य जानकारी रोकने का दायित्व सौंपा गया, जिससे डिजिटल स्पेस अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बन सके।
PIB की फैक्ट चेक यूनिट सरकारी सूचनाओं की प्रामाणिकता सत्यापित कर सही जानकारी प्रसारित करती है, जिससे गलत सूचनाओं की पहचान तेज और प्रभावी होती है।
Delhi/ भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर फर्जी, भ्रामक और झूठी सूचनाओं के प्रसार को रोकने के लिए सरकार लगातार नियामकीय ढांचा मजबूत कर रही है। राज्यसभा में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संरक्षित है, लेकिन गलत जानकारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई ठोस कदम उठाए गए हैं।
मंत्री ने बताया कि सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत आईटी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 लागू किए हैं। इन नियमों में डिजिटल समाचार प्लेटफॉर्मों के लिए नैतिकता संहिता, केबल टीवी कार्यक्रम संहिता और प्रेस परिषद के पत्रकारिता मानदंडों का पालन अनिवार्य है। इसके साथ ही तीन-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र भी स्थापित किया गया है, जिससे उपयोगकर्ताओं की शिकायतें चरणबद्ध तरीके से निपटाई जा सकें।
भाग-II के प्रावधान यूट्यूब और फेसबुक जैसे मध्यस्थों पर यह दायित्व डालते हैं कि वे स्पष्ट रूप से झूठी या भ्रामक सूचनाओं का प्रसार रोकें। केंद्र सरकार से संबंधित फर्जी खबरों की जांच के लिए नवंबर 2019 में प्रेस सूचना ब्यूरो के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट (FCU) स्थापित की गई थी, जो अधिकृत स्रोतों से तथ्य सत्यापित कर सही जानकारी सार्वजनिक करती है।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि आईटी अधिनियम की धारा 69A के तहत सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में वेबसाइट, सोशल मीडिया अकाउंट या पोस्ट को ब्लॉक करने का आदेश दे सकती है।